हरि जनकू हरिनाम बडो धन हरि जनकू हरिनाम ॥ ध्रु०॥
बिन रखवाले चोर नहि चोरत सुवत है सुख धाम ॥ ब०॥१॥
दिन दीन होते सवाई दोढी धरत नहीं कछु दाम ॥ ब०॥२॥
सुरदास दोढी धरत नहीं कछु दाम ॥ ब०॥३॥
प्रभु सेवा जाकी पारससुं कहां काम ॥ ब०॥४॥

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

वरुथिनी एकादशी

गुरूवार, 24 अप्रैल 2025

वरुथिनी एकादशी
मोहिनी एकादशी

गुरूवार, 08 मई 2025

मोहिनी एकादशी
वैशाखी पूर्णिमा

सोमवार, 12 मई 2025

वैशाखी पूर्णिमा
अपरा एकादशी

शुक्रवार, 23 मई 2025

अपरा एकादशी
शनि जयंती

मंगलवार, 27 मई 2025

शनि जयंती
निर्जला एकादशी

शुक्रवार, 06 जून 2025

निर्जला एकादशी

संग्रह