हातकी बिडिया लेव मोरे बालक। मोरे बालम साजनवा॥ध्रु०॥
कत्था चूना लवंग सुपारी बिडी बनाऊं गहिरी।
केशरका तो रंग खुला है मारो भर पिचकारी॥१॥
पक्के पानके बिडे बनाऊं लेव मोरे बालमजी।
हांस हांसकर बाता बोलो पडदा खोलोजी॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर बोलत है प्यारी।
अंतर बालक यारो दासी हो तेरी॥३॥
Author: Unknown Claim credit