जागिये ब्रजराज कुंवर

जागिये ब्रजराज कुंवर कमल कोश फूले।
कुमुदिनी जिय सकुच रही, भृंगलता झूले॥१॥
तमचर खग रोर करत, बोलत बन मांहि।
रांभत गऊ मधुर नाद, बच्छन हित धाई॥२॥
विधु मलीन रवि प्रकास गावत व्रजनारी।
’सूर’ श्री गोपाल उठे आनन्द मंगलकारी॥३॥

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

छठ पूजा

मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

छठ पूजा
कार्तिक पूर्णिमा

बुधवार, 05 नवम्बर 2025

कार्तिक पूर्णिमा
उत्पन्ना एकादशी

शनिवार, 15 नवम्बर 2025

उत्पन्ना एकादशी
मोक्षदा एकादशी

सोमवार, 01 दिसम्बर 2025

मोक्षदा एकादशी
मार्गशीर्ष पूर्णिमा

गुरूवार, 04 दिसम्बर 2025

मार्गशीर्ष पूर्णिमा
सफला एकादशी

सोमवार, 15 दिसम्बर 2025

सफला एकादशी

संग्रह