जनम सब बातनमें

जनम सब बातनमें बित गयोरे ॥ध्रु०॥
बार बरस गये लडकाई । बसे जोवन भयो ।
त्रिश बरस मायाके कारन देश बिदेश गयो ॥१॥
चालीस अंदर राजकुं पायो बढे लोभ नित नयो ।
सुख संपत मायाके कारण ऐसे चलत गयो ॥ जन० ॥२॥
सुकी त्वचा कमर भई ढिली, ए सब ठाठ भयो ।
बेटा बहुवर कह्यो न माने बुड ना शठजीहू भयो ॥ जन० ॥३॥
ना हरी भजना ना गुरु सेवा ना कछु दान दियो ।
सूरदास मिथ्या तन खोवत जब ये जमही आन मिल्यो ॥ जन०॥४॥

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

ज्येष्ठ पूर्णिमा

बुधवार, 11 जून 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा
योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी

संग्रह