कान्हा बेदर्दी है राधा खत लिखती हैं,
जब से गये तुम मथुरा को भूल गए तुम राधा को,
तेरी जुदाई ये कान्हा अब सही ना जाती है,
अब तो आजा मोहन तेरी याद सताती है,
तेरी याद सताती है, राधा खत लिखती हैं…
तेरी याद में मोरनी रोये, पंख ये फैलाये,
भूखे डोले गईया बछङे, घास नहीं खाये,
अब तो आजा कान्हा तेरी, गायें भटकती है,
अब तो आजा मोहन तेरी याद सताती है,
तेरी याद सताती है राधा खत लिखती हैं…
जिनके साथ तुम खेले मोहन, लट्ठ मार होली,
दुःखी हो गई वो गुजरिया, ग्वलों की टोली,
तेरे बिना ये कुँज गलियां, वीरानी लगती है,
अब तो आजा मोहन, तेरी याद सताती है,
तेरी याद सताती है, राधा खत लिखती हैं…
अब तो इस डगरे में ना कोई, ग्वालन आती है,
दही बेचने वाली कोई नजर न आती है,
तेरे बिना ओ कान्हा सब, गोपियां रोती है,
अब तो आजा मोहन तेरी याद सताती है,
तेरी याद सताती है, राधा खत लिखती हैं…
आजा मोहन प्यारे क्यूं तुम, देर लगाते हो,
अपनी राधा रानी को तुम, क्यूँ तङपाते हो,
तेरी याद में मैया, दिन रात तङपती है,
अब तो आजा मोहन, तेरी याद सताती है,
तेरी याद सताती है, राधा खत लिखती हैं…
कान्हा बेदर्दी है, राधा खत लिखती हैं,
तेरी याद सताती है, राधा खत लिखती हैं…
Author: Unknown Claim credit