सांवरिया ले चल परली पार,
जहां बिराजे राधा रानी अलबेली सरकार।
सांवरिया ले चल…..

गुन अवगुन सब तेरे अर्पण, पाप पुण्य सब तेरे अर्पण।
बुद्धि सहित मन तेरे अर्पण, ये जीवन भी तेरे अर्पण।
मैं तेरे चरनों की दासी, तुम मेरे प्राण आधार।
सांवरिया ले चल…..

तेरी आस लगा बैठी हूं, लज्जा शील गंवा बैठी हूं।
आंखे खूब पका बैठी हूं, अपना आप लुटा बैठी हूं।
सांवरिया मैं तेरी रागनी, तू मेरा मल्हार।
सांवरिया ले चल…..

जग की कुछ परवाह नहीं है, अब कोई बाकी चाह नहीं है।
चारों तरफ छाया अंधेरा, सूझती कोई राह नहीं है।
मेरे प्रीतम मेरे माझी कर दो बेड़ा पार।
सांवरिया ले चल…..

आनन्दघन जहां बरस रहा है, पत्ता पत्ता हर्ष रहा है।
पी पी कर कोई करस रहा। ‘हरि’ बेचारा तरस रहा है।
बहुत हुई अब हार चुकी मैं, मत छोड़ो मंझधार।
सांवरिया ले चल….. ।

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

अहोई अष्टमी

गुरूवार, 24 अक्टूबर 2024

अहोई अष्टमी
बछ बारस

सोमवार, 28 अक्टूबर 2024

बछ बारस
रमा एकादशी

सोमवार, 28 अक्टूबर 2024

रमा एकादशी
धनतेरस

मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024

धनतेरस
मासिक शिवरात्रि

बुधवार, 30 अक्टूबर 2024

मासिक शिवरात्रि
नरक चतुर्दशी / रूप चतुर्दशी

गुरूवार, 31 अक्टूबर 2024

नरक चतुर्दशी / रूप चतुर्दशी

संग्रह