क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं है

क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं है।
दीनों के वास्ते क्या दरबार अब नहीं है।

या तो दयालु मेरी दृढ़ दीनता नहीं है।
या दीन की तुम्हें हीं दरकार अब नहीं है।

जिससे कि सुदामा त्रयलोक पा गया था।
क्या उस उदारता में कुछ सार अब नहीं है।

पाते थे जिस हृदय का आश्रय अनाथ लाखों।
क्या वह हृदय दया का भण्डार अब नहीं है।

दौड़े थे द्वारिका से जिस पर अधीर होकर।
उस अश्रु ‘बिन्दु’ से भी क्या प्यार अब नहीं है।

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

ज्येष्ठ पूर्णिमा

बुधवार, 11 जून 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा
योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी

संग्रह