ले लो शरण कन्हैया, दुनिया से हम है हारे,
नहीं ठोर ना ठिकाना, फिरते है मारे मारे…

गुजरी है ज़िंदगानी, अश्को को पीते पीते,
बीती जो मुझपे बाबा, किसी और पे ना बीते,
छोटी सी ज़िंदगी है, और गम है ढेर सारे,
ले लो शरण कन्हैया, दुनिया से हम है हारे…

अब तक निभाई मैंने, जिनसे भी रिश्तेदारी,
निकले वही कन्हैया, सुख चैन के शिकारी,
किस पे करे भरोसा, देते है सब दगा रे,
ले लो शरण कन्हैया, दुनिया से हम है हारे…

माधव सुनाई करदो, मुझे आस इक तुम्ही से,
वाकिफ हो तुम कन्हैया, जीवन की हर कमी से,
देते है जखम सारे, मिलती नहीं दवा रे,
ले लो शरण कन्हैया, दुनिया से हम है हारे…

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