मैं तो चली रे पिया के देश

मैं तो चली रे पिया के देश,
हो मै तो चली रे पिया के देश,
ये देश हुआ प्रदेश,
मै तो चली रे पिया के देश……

पिया मिलन को तरस रही थी,
छम छम अंखिया बरस रही थी,
है धर जोगन का भेष,
मै तो चली रे पिया के देश…..

बीते दिवस कई बीती रतिया,
मन की कहूंगी उनसे सारी बतिया,
हो लागि क्या क्या मन को ठेस,
मै तो चली रे पिया के देश…….

आया बुलावा मेरे पिया का,
मन उपवन हरषाये जीया का,
हो छाया आनंद मन में विशेष,
मै तो चली रे पिया के देश…….

चित्र विचित्र आई बेला मिलन की,
दुल्हन बनुगी में तो सांवरे सजन की,
अब क्या रह गया शेष,
मै तो चली रे पिया के देश……

मै तो चली रे पिया के देश,
हो मैं तो चली रे पिया के देश,
ये देश हुआ प्रदेश,
मै तो चली रे पिया के देश……

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