मन बस गयो नन्द किशोर

हो मन बस गयो नंदकिशोर ,
अब जाना नहीं कहीं और ,
बसालो वृन्दावन में -2

सौंप दिया अब जीवन तोहे -2
राखो जिस विधि रखना मोहे -2
तेरे दर पे पड़ी हूँ सब छोड़ ,
बसालो वृन्दावन में -2

चाकर बनकर सेवा करुँगी -2
मधुकरी मांग कलेवा करूंगी -2
तेरे दरश करुँगी उठ भोर -2
अब जाना नहीं कहीं और ,
बसालो वृन्दावन में -2

अर्ज मेरी मंजूर ये करना -2
वृन्दावन से दूर न करना -2
कहे “मधुप” हरी जी हाथ जोड़ -2
अब जाना नहीं कहीं और ,
बसालो वृन्दावन में -2

मन बस गयो नंदकिशोर ,
अब जाना नहीं कहीं और ,
बसालो वृन्दावन में -2 ।

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