बिछड़े कभी न हम,
मेरे श्याम तुमसे,
जी ना सकूंगा मैं,
सुनलो कसम से,
जब भी मैं भटका,
तू बना सहाई,
मेरी आंख भर आई,
बीते पलों की याद जो आई ||
मेरी आंख भर आई,
आँख भर आई,
तूने दया जो श्याम बरसाई,
मेरी आंख भर आई,
आँख भर आई ||
कैसे मैं भूलूँ कोई साथ नहीं था,
थामे जो ऐसा मुझे हाथ नहीं था,
आखिर में तूने मेरी,
आखिर में तूने मेरी,
पकड़ी कलाई,
मेरी आँख भर आई,
बीते पलो की याद जो आई,
मेरी आंख भर आई,
आँख भर आई ||
अनजान राहो में भटक रहा था,
अंधेरो में दिल ये मेरा धड़क रहा था,
आखिर में तूने मुझे,
आखिर में तूने मुझे,
राह दिखाई,
मेरी आँख भर आई,
बीते पलो की याद जो आई,
मेरी आंख भर आई,
आँख भर आई ||
समझ लिया क्यूँ आंसू मेरे बहते है,
हारे का साथी तुझे क्यूँ कहते है,
हारे हुए को तूने,
हारे हुए को तूने,
जीत दिलाई,
मेरी आंख भर आई,
बीते पलो की याद जो आई,
मेरी आँख भर आई,
आँख भर आई ||
इस बेसहारे का सहारा बना तू,
श्याम कहे भक्तो का किनारा बना तू,
डूबी हुई नैया को,
डूबी हुई नैया को,
पार लगाई,
मेरी आंख भर आई,
बीते पलो की याद जो आई,
मेरी आँख भर आई,
आँख भर आई ||
जब भी मैं भटका,
तू बना सहाई,
मेरी आँख भर आई,
बीते पलों की याद जो आई,
मेरी आंख भर आई,
आँख भर आई,
तूने दया जो श्याम बरसाई,
मेरी आंख भर आई,
आँख भर आई ||
Author: Sanjay Mittal