(तर्ज- मीरा दीवानी हो गयी, मीरा मस्तानी हो गयी….)
प्यारा श्याम सुन्दर नन्दलाला, वो तो गऊवें चराने वाला,
रोज सताये, हाथ ना आये, मुझे चिढ़ाता वो… ओ ओ ओ ।।
प्यारा…।।
जब भी जाती पनघट पर वो, पीछे-पीछे आये,
भरके गगरिया जब निकलूं वो, मटकी फोड़ गिराये,
माने ना वो मिन्नत मेरी, जीभ दिखाता वो… ओ ओ ओ ।।
प्यारा…।।
दूध-दही का बड़ा चटोरा, खाये और गिराये,
कान पकड़ने जब दौडू तो, हाथ नहीं वो आये,
कहाँ मैं रखूं दूध-दही, चौपट कर जाता वो… ओ ओ ओ ।।
प्यारा…।।
“राजू” जब मैं करूं शिकायत, ऐसा रूप बनायें,
देख सलोना मुखड़ा उसका, प्यार उमड़ता जाये,
कान्हा फिर से खाना माखन, ताजा रक्खा जो… ओ ओ ओ ।।
प्यारा…।।
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