राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक
तीनों लोक में छाये रही है !
भक्ति विवश एक प्रेम पुजारिन
फिर भी दीप जलाये रही है !
कृष्ण को गोकुल से राधे को…
कृष्ण को गोकुल से राधे को
बरसाने से बुलाय रही है !!

दोनों करो स्वीकार कृपा कर
जोगन आरती गाये रही है !
दोनों करो स्वीकार कृपा कर
जोगन आरती गाये रही है !!

भोर भये ते सांज ढ़ले तक
सेवा कौन इतनेम म्हारो !
स्नान कराये वो वस्त्र ओढ़ाए वो
भोग लगाए वो लागत प्यारो !
कबते निहारत आपकी ओर… !
कबते निहारत आपकी ओर
की आप हमारी और निहारो !!

राधे कृष्ण हमारे धाम को
जानी वृन्दावन धाम पधारो !
राधे कृष्ण हमारे धाम को
जानी वृन्दावन धाम पधारो !!

राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक !
तीनों लोक में छाये रही है !!

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