जयंती मंगला काली,
भद्र काली कपालिनी ||
दुर्गा क्षमा शिवधात्री,
स्वाहा स्वधा नमोस्तुते ||

बड़े मान से जमाना मां तुमको पूजता है,
तेरे नाम का तराना त्रिभुवन में गूंजता है ||

होती दया की जिसपे नजर,
दुनिया में होता वो बेखबर ||

चरणों में वो दीवाना चोखट को चूमता है,
बड़े मान से जमाना मां तुमको पूजता है ||

भक्तो को देती वरदान है,
पुरे करे सब अरमान है ||

रुतबा बड़ा सुहाना हर सय में घूमता है,
बड़े मान से जमाना मां तुमको पूजता है ||

पापी ह्रदय को निर्मल करो,
भक्ति से मेरा दामन भरो ||

चेतन झलक दिखा दो मन तुमको ढूंढता है,
बड़े मान से जमाना माँ तुमको पूजता है ||

बड़े मान से जमाना मां तुमको पूजता है,
तेरे नाम का तराना त्रिभुवन में गूंजता है ||

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