गा के मनाऊ या नच के मनाऊ,
बोल मेरी मैया तुझे कैसे मनाऊ,
ताली बजाऊ या ठुमका लगाऊ,
बोल मेरी मैया तुझे कैसे मनाऊ…
तू जो कहे तेरा मंदिर बनाऊ,
जैसे कहे तो तेरा बांग्ला सजाऊ,
पर ऊंचा पर्वत कहा से मैं लाऊ अरे,
बोल मेरी मैया तुझे कैसे मनाऊ…
तेरी सवारी को थोड़ा मनाऊ,
बाकी जो चाहे वो भी मैं लाऊ,
पर शेर मियां कहा से मैं लाऊ,
बोल मेरी मैया तुझे कैसे मनाऊ…
तेरे नहाने को कवाड़ी बनाऊ,
जितने कहे ताले उतने खुदाउ,
पर वाह में गंगा कहा से लाऊ,
बोल मेरी मैया तुझे कैसे मनाऊ…
तू जो कहे वैसी चुनर मैं लाऊ,
ध्वजा नारियल कितने चड़ाउ,
अकबर जैसे छतर कैसे लाऊ,
बोल मेरी मैया तुझे कैसे मनाऊ…
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