कैसे भूलूंगा मैं उपकार तेरा,
जग की जननी है तू,
माँ सुख करनी है तू,
तू ही घर द्वार मेरा,
कैसे भूलूंगा मैं उपकार तेरा……
जग गिराता गया, तू बचाती रही,
अपने चरणों से मुझे लगाती रही,
मेरी हर आस को, मेरे विश्वास को,
मिला सहारा तेरा,
कैसे भूलूंगा मैं उपकार तेरा……
जग ने मारे थे ताने, मैं रोता रहा,
मैं तो अनजान होके सब सहता रहा,
तू बचाती रही, राह दिखाती रही,
ये एहसान तेरा,
कैसे भूलूंगा मैं उपकार तेरा……
तूने शक्ति भी दी, तूने भक्ति भी दी,
हस के जी मैं सकू, ऐसी हस्ती भी दी,
सजन सुनती रही, झोली भरती रही,
मिला प्यार तेरा,
कैसे भूलूंगा मैं उपकार तेरा……
Author: Unknown Claim credit