छुपो लाख चाहे पर्वतो पे जाके,
बैठो गुफा में सभाभीया लगा के,
सवाली तुम्हे ढूंढ लेंगे,, माँ,
सवाली तुम्हे ढूंढ लेंगे……
हो भवन रूप बेशक बना के,
चाहे ज्योत बनो ज्वालामुखी जा के,
सवाली तुम्हे ढूंढ लेंगे,, माँ,
सवाली तुम्हे ढूंढ लेंगे……
वैष्णो के रूप में सजा लो चाहे दामन,
चाहे चिंतपूर्णी रख लेना डेरा लगा के,
शीतला भी तेरी ज्योत कर देती नूर है,
मनसा देवी नाम तेरा बड़ा मशहूर है,
हो चाहे खुश हो लो गौरी कहला के,
चाहे आओ नाम उमा ही तरा के,
सवाली तुम्हे ढूंढ लेंगे,, माँ,
सवाली तुम्हे ढूंढ लेंगे……
कला रूप होके चाहे शारदे तू बन माँ,
चाहे तू सजा ले नैना देवी का भवन माँ,
कालका चमुंडा सब तेरे दरबार है,
बगलामुखी करनी माँ तेरे अवतार है,
चाहे रूप माँ कामाख्या का बना के,
चाहे खप्पर आजा तू सजा के,
सवाली तुम्हे ढूंढ लेंगे,, माँ,
सवाली तुम्हे ढूंढ लेंगे……
नगरकोटी कांगड़ा में करो चाहे वास माँ,
कहते है शाकुंभरी में तेरा प्रकाश माँ,
कही लोक माया तू, कही विंदवासिनी,
नंदा देवी तारा तू माँ तू ही मुंडमालिनी,
चाहे दुर्गा हो या दुर्गम मिटा के,
चाहे लुप्त होजा पिंडी में समा के,
सवाली तुम्हे ढूंढ लेंगे,, माँ,
सवाली तुम्हे ढूंढ लेंगे……
Author: Unknown Claim credit