श्लोक –
चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़,
तुलसीदास चन्दन घिसे तिलक करे रघुवीर…

चित्रकूट के घाट घाट पर भीलनी जोवे बाट,
राम मेरे घर आना, राम मेरे घर आना…

आसन नही है रामा कहाँ मैं बिठाऊँ,
कहाँ मैं बिठाऊँ रामा,
कहाँ मैं बिठाऊँ टूटी पड़ी है खाट,
खाट पे बिछा पुराना टाट,
राम मैरे घर आना, राम मेरे घर आना…

भोजन नही है रामा क्या मैं जिमाऊ,
क्या मैं जिमाऊ रामा,
क्या मैं जिमाऊ, ठंडी पड़ी है घाट,
घाट में डालु ठंडी छाछ,
राम मैरे घर आना, राम मेरे घर आना…

मेवा नही है रामा क्या मैं चढ़ाऊँ,
क्या मैं चढ़ाऊँ रामा,
क्या मैं चढ़ाऊँ, छोटे बड़े है पेड़,
पेड़ पे लगे हुए है बेर,
राम मैरे घर आना, राम मेरे घर आना…

झूला नही रामा काहे में झुलाऊँ,
काहे में झुलाऊँ रामा,
काहे में झुलाऊँ,हरे भरे है पेड़,
पेड़ पर झूले सीताराम,
राम मैरे घर आना, राम मेरे घर आना…

चित्रकूट के घाट घाट पर भीलनी जोवे बाट,
राम मैरे घर आना, राम मेरे घर आना…

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