माँ कौशल्या तुझको पुकारे
चले आओ अब राम हमारे
कब तक खुद से झूठ कहूं मैं
अब ना राम से दूर रहूं मैं
कब आएंगे कब आएंगे
जय सियाराम सियाराम सियाराम
कब आएंगे पूछे मेरा मन व्याकुल सुबह शाम को
अवधपुरी भी सज चुकी है मिलने प्रभु श्री राम को
भोर दुपहरिया सांझ और रतिया
अँखियाँ तरसे राम को
जय सियाराम सियाराम सियाराम
जबसे जानी माँ कौशल्या राम अवध हैं आ रहे
अँखियों से खुशियों के मोती पल पल बरसे जा रहे
निंत नित पूछ रही है मैया राम कहाँ टीक आये हैं
लाल से मिलने की अभिलाषा अब ना रोकी जाए है
द्वार कड़ी है मैया द्वार कड़ी है
जय सियाराम सियाराम सियाराम
द्वार खड़ी है मैया द्वारखड़ी है
द्वार खड़ी है मैया लेकर ममता देखने राम को
अवधपुरी भी सज चुकी है मिलने प्रभु श्री राम को
जय सियाराम सियाराम सियाराम
लक्ष्मण को संदेह हुआ ना भारत के मन में पाप हो
लेकिन हाथ जोड़ वो बोले प्रभु चलो तुम मेरे साथ हो
राजा का जीवन भी देखो सेवक बनके बिठाये थे
वन से भैया के खड़ाऊ अपने साथ वो लाये थे
भारत पुकारे हो राम हमारे
जय सियाराम सियाराम सियाराम
भारत पुकारे राम हमारे नैनो को विश्राम दो
अवधपुरी भी सज चुकी है मिलने प्रभु श्री राम को
जय सियाराम सियाराम सियाराम
अग्नि भी आंसू बहाये जल की बूंदे प्यासी हैं
कबसे तोहरी रात ताके अँखियाँ बरसों से उदासी हैं
उडी धुल माटी की देखो राम कहानी गाये हैं
घर घर खुशियों के दीपक हो बहकतों ने जलाये हैं
अवध पधारो सियाराम हमारे प्राणो में अब प्राण दो
अवधपुरी भी सज चुकी है मिलने प्रभु श्री राम को
जय सियाराम सियाराम सियाराम
Author: Unknown Claim credit