राम भजा सो जीता जग में,
राम भजा सो जीता रे,
​हृदय शुद्ध नही कीन्हों मूरख,
कहत सुनत दिन बीता रे,
राम भजा सो जीता जग में…

हाथ सुमिरनी, पेट कतरनी,
पढ़ै भागवत गीता रे,
हिरदय सुद्ध किया नहीं बौरे,
कहत सुनत दिन बीता रे,
राम भजा सो जीता जग में…

और देव की पूजा कीन्ही,
हरि सों रहा अमीता रे,
धन जौबन तेरा यहीं रहेगा,
अंत समय चल रीता रे,
राम भजा सो जीता जग में…

बाँवरिया बन में फंद रोपै,
संग में फिरै निचीता रे,
कहे ‘कबीर’ काल यों मारे,
जैसे मृग कौ चीता रे,
राम भजा सो जीता जग में…

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

गीता जयंती

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

गीता जयंती
मोक्षदा एकादशी

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

मोक्षदा एकादशी
दत्तात्रेय जयंती

शनिवार, 14 दिसम्बर 2024

दत्तात्रेय जयंती
अन्नपूर्णा जयन्ती

रविवार, 15 दिसम्बर 2024

अन्नपूर्णा जयन्ती
मार्गशीर्ष पूर्णिमा

रविवार, 15 दिसम्बर 2024

मार्गशीर्ष पूर्णिमा
संकष्टी चतुर्थी

बुधवार, 18 दिसम्बर 2024

संकष्टी चतुर्थी

संग्रह