तेरे नाम से नाम हो मेरा शंकर
ऐसा कुछ कर दो
कहीं ज़िक्र हो मेरा तो सब चीख पड़े
जय शिव शम्भू
कल्पान्तर जो हो या फिर
आखरी दिन संसार का हो
तेरे भक्तों की सूची में बस
पहला नाम निखार का हो
हा कालघूट पीलू मुझको भी
मृत्यु मिल जाए
मंदिर में शिव ना मिला
शमशान में शायद मिल जाये
हो भस्म रमाये फिर भी
कितने सुन्दर लगते हो
तेरे नाम को ऐसे जपू जैसे
राम नाम तुम जपते हो
शंकरा शिवा मिटा दे
ये भरम जहान का
के भोला जिसे जग समझ रहा
अघोरी वो परम मसान का
शंकरा शिवा मैं मांगू भी
तो क्या तेरे सिवा
ना पाए मुझे मौत भी डरा
जो तू है मेरे साथ में खड़ा

जग रात रात कोई ना साथ
कितने आघात कहाँ भोलेनाथ
विष का प्रसाद मृत्यु का नाद
डम डम बाजे डमरूननाद
चंदा ललाट त्रिपुंड माथ
तेरे मुख है पांच और दसों हाथ
आऊ कैलाश को लोक पाट
मिल जाये बस शंकर विराट
चाहे लाखो मुझको नाट लगे
या जनम भी 108 लगे
मेरे तप से शंकर जाग उठे
पापी मृत्यु के घाट लगे
चरणों में तेरे जो माथ रखे
भय के न कभी वो हाथ लगे
मेरी विजय चीख कर गूंज पड़े
सर पर शंकर जब हाथ रखे
हा कालघूट पीलू मुझको भी
मृत्यु मिल जाए
मंदिर में शिव ना मिला
शमशान में शायद मिल जाये
हो भस्म रमाये फिर भी
कितने सुन्दर लगते हो
तेरे नाम को ऐसे जपू जैसे
राम नाम तुम जपते हो
शंकरा शिवा मिटा दे
ये भरम जहान का
के भोला जिसे जग समझ रहा
अघोरी वो परम मसान का
शंकरा शिवा मैं मांगू भी
तो क्या तेरे सिवा
ना पाए मुझे मौत भी डरा
जो तू है मेरे साथ में खड़ा

अखर्वसर्वमंगलाकलाकदम्बमंजरी
रसप्रवाहमाधुरीविजृम्भणामधुव्रतम् ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ।।

तुम नंदी बैल के प्यारे हो
तुम पशुपति कल्याणी हो
कैलाश से बाहर आ शंकर
आ देख बिलखते प्राणी को
इंसान बने जो जन्मे थे
हैवान बने नर नारी वो
क्या बेजुबान का हाल किया
अब सुन लो मेरी वाणी को
निर्दोषों के सर काट रहे
और लाश के हिस्से बाँट रहे
एक मुर्दा शव को चाट रहे
और मांस में हड्डी चाट रहे
जिनके लिए तूने जहर पिया
वो खून भी गट गट पीते है
इंसा खुद को कहने वाले
असुरों के जैसे जीते है
वैरागी भोले को अर्पित करते
ये मोती हिरा
तेरे भक्त ही तुझसे आँख चुराये
भोगे मांस मदिरा
विष के प्याले की बात करे
मन में ही जहर भरा है
भय मुक्त बना पापी
ओ शंकर तेरा कहर कहाँ है
हा कालघूट पीलू मुझको भी
मृत्यु मिल जाए
मंदिर में शिव ना मिला
शमशान में शायद मिल जाये
हो भस्म रमाये फिर भी
कितने सुन्दर लगते हो
तेरे नाम को ऐसे जपू जैसे
राम नाम तुम जपते हो
शंकरा शिवा मिटा दे
ये भरम जहान का
के भोला जिसे जग समझ रहा
अघोरी वो परम मसान का
शंकरा शिवा मैं मांगू भी
तो क्या तेरे सिवा
ना पाए मुझे मौत भी डरा
जो तू है मेरे साथ में खड़ा

अखर्वसर्वमंगलाकलाकदम्बमंजरी
रसप्रवाहमाधुरीविजृम्भणामधुव्रतम् ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ।।

Author: Nikhar Juneja

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