आया हूँ मैं दर पे तेरे देख शंकरा
थोड़ी सी जगह शरण में दे दे शंकरा
तेरी शरण में आके भोलेनाथ
दूर हो जाती है हर परेशानी
तूने ही लिखी है मेरी ये दास्ता
तू ही सँवारेगा मेरी कहानी
यूं ना मुझको दूर कर
अब तो मुझको खुद में समा
भक्त वत्सलाये नमः
शीत कंठाये नमः
किरपा मुझ पर रखना
मेरी गलतियों को करके क्षमा
भक्त वत्सलाये नमः
शीत कंठाये नमः
किरपा मुझ पर रखना
मेरी गलतियों को करके क्षमा
लम्हा लम्हा भोले साथ में बिताऊँ
तुझपे भोले अपना हक मैं जताऊँ
हाल क्या है तेरे बिन तू ही जाने
शिव से प्रेम कितना कैसे मैं बताऊँ
मिलने को तुझसे क्यों बेकरार हूँ मैं
ना होगी तेरे अब दर से रवानी
जिंदगी में मेरी बहती है खुशियाँ
जैसे हो बहता समुंदर में पानी
यूं ना मुझको दूर कर
अब तो मुझको खुद में समा
भक्त वत्सलाये नमः
शीत कंठाये नमः
किरपा मुझ पर रखना
मेरी गलतियों को करके क्षमा
भक्त वत्सलाये नमः
शीत कंठाये नमः
किरपा मुझ पर रखना
मेरी गलतियों को करके क्षमा
अरे भोले तेरे चरणों की
धूल का मैं कण बन जाऊं
जीवन के सारे बंधनों से
शंकर जी खुद को मुक्त पाऊं
तू जिस्म जान भोले अब तेरा हो गया है
खुद का वजूद भी मेरा अब कहीं खो गया है
सारे जगत के तुम ही हो राजा
और गौरा मैया जगत की है रानी
जब तक ना दोगे दरस त मुझे
तब तक करता रहूँगा मैं यूंही मनमानी
यूं ना मुझको दूर कर
अब तो मुझको खुद में समा
भक्त वत्सलाये नमः
शीत कंठाये नमः
किरपा मुझ पर रखना
मेरी गलतियों को करके क्षमा
भक्त वत्सलाये नमः
शीत कंठाये नमः
किरपा मुझ पर रखना
मेरी गलतियों को करके क्षमा
Author: Hansraj Raghuwanshi ,Ricky T Giftrulerz