डमरू की धुन

हे शिव शंकर कैलाशी ओमकारा तू अविनाशी,
तू कण कन का है वासी तू है काशी का निवासी,
तेरा डम डम डम डम डम डम डमरू बाजे रे
तेरे डमरू की धुन पे आज जगत ये नाचे रे….

है रूप तेरा अलबेला ओ भोले भंडारी,
हुई दुनिया दीवानी तेरी शिव भोले त्रिपुरारी,
तेरे शिवालय पे आते है सारे नर व नारी,
तेरे चरणों में झुकती है आकर ये दुनिया सारी,
तेरा डम………

तूने अपना प्यार है बांटा जिसने तुझको ध्याया,
वरदानी तेरी दया का वर सबने है पाया,
तेरी नज़र में सब है बराबर कोई छोटा ना ही बड़ा है,
इस लिए ही लोक ये तीनों तेरे चरणों में ही पड़ा है,
तेरा डम…..

अंत तुम्हीं हो भोला तुम हो पहला नंबर,
तेरे जय जय कार से गूंजे ये धरती ये अम्बर,
लिखे महिमा तेरी कुंदन हे नन्दी के आस्वारी,
राधिका की भाग्य की रेखा भोले तूने ही संवारी,
तेरा डम……

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

सफला एकादशी

सोमवार, 15 दिसम्बर 2025

सफला एकादशी
गुरु गोविंद सिंह जयंती

शनिवार, 27 दिसम्बर 2025

गुरु गोविंद सिंह जयंती
पौष पूर्णिमा

शनिवार, 03 जनवरी 2026

पौष पूर्णिमा
षटतिला एकादशी

बुधवार, 14 जनवरी 2026

षटतिला एकादशी
मकर संक्रांति

बुधवार, 14 जनवरी 2026

मकर संक्रांति
जया एकादशी

सोमवार, 26 जनवरी 2026

जया एकादशी

संग्रह