ज्ञानवापी

ज्ञानवापी

हे विश्वनाथ बाबा
सबसे बड़ा प्रतापी
उसका ही बनारस है
उसका ही ज्ञानवापी

हे विश्वनाथ बाबा
सबसे बड़ा प्रतापी
उसका ही बनारस है
उसका ही ज्ञानवापी

उसका ही ज्ञानवापी…

हम उसका कर्ज
सांस ये दे कर चुकाएंगे
मंदिर जहां था
फिर वहीं मंदिर बनाएंगे

मंदिर जहां था
फिर वहीं मंदिर बनाएंगे
मंदिर जहां था
फिर वहीं मंदिर बनाएंगे…

हम भोले के भगत हैं
फक्कड़ मिजाज वाले
मस्ती में हैं मगन हम
दुनिया से हैं निराले

हम भोले के भक्त हैं
फक्कड़ मिजाज वाले
मस्ती में हैं मगन हम
दुनिया से हैं निराले

हम काशी विश्वनाथ से
वादा निभाएंगे बाबा…
मंदिर जहां था
फिर वहीं मंदिर बनाएंगे

मंदिर जहां था
फिर वहीं मंदिर बनाएंगे
मंदिर जहां था
फिर वहीं मंदिर बनाएंगे…

शिवम् शिवम्…….

आई भगवें की लहर है
मंदिर है सजने वाला
कैलाशी आये काशी
डमरू है बजने वाला

आई भगवें की लहर है
मदिर है सजने वाला
कैलाशी आये काशी
डमरू है बजने वाला

बस उसके सामने ही
अपना सर झुकाएंगे
मंदिर जहां था
फिर वहीं मंदिर बनाएंगे

मंदिर जहां था
फिर वहीं मंदिर बनाएंगे
मंदिर जहां था
फिर वहीं मंदिर बनाएंगे

नंदी की प्रतीक्षा का फल
उसे दिलाएंगे
मंदिर जहां था
फिर वहीं मंदिर बनाएंगे
हम काशी विश्वनाथ से
वादा निभाएंगे
मंदिर जहां था
फिर वहीं मंदिर बनाएंगे

Author: Hansraj Raghuwanshi ,Shekhar Astitwa, Kabeer Shukla

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