लगन तुमसे लगा बैठे, जो होगा देखा जाएगा ।
जो होगा देखा जाएगा, जो होगा देखा जाएगा ।
जो होगा देखा जाएगा…
तुम्हें अपना बना बैठे, जो होगा देखा जाएगा…
लगन तुमसे, लगा बैठे…
मैं था भटका हुआ राही, मुझे मंज़िल मिली तुमसे ।
मुझे मंज़िल मिली तुमसे…
कि अब दुःख को भुला बैठे, जो होगा देखा जायेगा…
लगन तुमसे, लगा बैठे…
सरकार आ गए हैं, मेरे गरीबखाने में ।
आया है दिल को सुकूंन, उनके करीब आने में।
मुद्दत से प्यासी अख्खियों को, मिला आज वो सागर ।
भटका था, जिसको पाने की खातिर, इस ज़माने में ।
जी भी आया शरण तेरी, भटकने ना दिया तुमने ।
भटकने ना दिया तुमने…
तुम्हे सब कुछ बना बैठे, जो होगा देखा जायेगा…
लगन तुमसे, लगा बैठे…
Author: Unknown Claim credit