मोर भंगिया का मनाई दे ओ भेरो नाथ

मोर भंगिया का मनाई दे ओ भेरो नाथ

मोर भंगिया का मनाई दे ओ भेरो नाथ
मोर जोगियां का मनाई दे बातमोरी बिगड़ी बनाई दे,
मोर भंगिया का मनाई दे ओ भेरो नाथ

तेरे द्वार जो भी आये मन चाहा फल पा जाए
शंकर का प्यारा है तू दुखियो का सहारा है तू
तेरी कही सुनते है बाबा शिव पे चड़े तेरा चडावा भोला से हम को मिलाई दे,
मोर भंगिया का मनाई दे ओ भेरो नाथ

भाघ्म्भर तन पर सोहे नाग की माला मन को मोहे
अंग भभूत बैल सवारी कर त्रिशूल डमरू धारी,
चडती है बेल के पाती भले बुरे सब के साथी,
इक बार दर्श दिखाई दे
मोर भंगिया का मनाई दे ओ भेरो नाथ

गंगा जल देवो के देवा
राजी हो करते है सेवा
तीजा नयन जब जब खोले तीनो लोक डगमग डोले,
भगतो को तार दिया है जग के लिए जेहर पिया है,
थोडा सा उनको जगाई दे भेरो नाथ
मोर भंगिया का मनाई दे ओ भेरो नाथ

Author: Guru Ashish

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

ज्येष्ठ पूर्णिमा

बुधवार, 11 जून 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा
योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी

संग्रह