शीश जटा में गंग विराजे

ॐ नाम एक सार है, जासे मिटत कलेश,
ॐ नाम में छिपे हुए है, ब्रम्हा विष्णु महेश॥

शीश जटा में गंग विराजे,
गले में विषधर काले,
डमरू वाले ओ डमरू वाले……

तुमने लाखो की बिगड़ी बनाई,
अपने अंग भभूत रमाई,
जो भी तेरा ध्यान लगाए,
उसको सब दे डाले,
डमरू वाले ओ डमरू वाले……..

नित अंग पे भस्मी लगाए,
जाने किसका तू ध्यान लगाए,
रहता है अलमस्त ध्यान में,
पीकर भंग के प्याले,
डमरू वाले ओ डमरू वाले…..

सब देवो ने अमृत पाया,
तुम्हे जहर हलाहल भाया,
महल अटारी सबको बांटे,
तुम हो मरघट वाले,
डमरू वाले ओ डमरू वाले……

भोले सुनलो अरज हमारी,
हम आये शरण तुम्हारी,
सब देवो में देव बड़े हो,
दुनिया के रखवाले,
डमरू वाले ओ डमरू वाले……….

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

सफला एकादशी

सोमवार, 15 दिसम्बर 2025

सफला एकादशी
गुरु गोविंद सिंह जयंती

शनिवार, 27 दिसम्बर 2025

गुरु गोविंद सिंह जयंती
पौष पूर्णिमा

शनिवार, 03 जनवरी 2026

पौष पूर्णिमा
षटतिला एकादशी

बुधवार, 14 जनवरी 2026

षटतिला एकादशी
मकर संक्रांति

बुधवार, 14 जनवरी 2026

मकर संक्रांति
जया एकादशी

सोमवार, 26 जनवरी 2026

जया एकादशी

संग्रह