शिव ही मेरी राह भी है,
शिव ही मेरी रूह,
शिव ही मेरी आत्मा है,
शिव ही अंतस हो,
शिव ही तो हर कण में है,
शिव आसमा खुद है,
शिव से जीवन मुक्ति है,
हाँ शिव ही सब कुछ है,
आदियोगी मेरी भोले,
तू ही मुझ में है………

जिस ने जग के सुख के लिए,
विष को है पिया,
जिस ने अपना नूर हर,
कण कण में है दिया,
जटा से निकली धारा ने,
अमृत है सबको दिया,
मेरे शिव के चरणों में,
मैंने सब है रख दिया,
शिव ही तो हर कण में है,
शिव आसमा खुद है,
शिव से जीवन मुक्ति है,
हाँ शिव ही सब कुछ है,
आदियोगी मेरी भोले,
तू ही मुझ में है………

ॐ शंकराय नमः
ॐ जटाधाराय नमः…

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