तेरा रूप है प्रचंड

तेरा रूप है प्रचंड

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥

गले में जिसके नाग, सर पे गंगे का निवास ।
जो नाथों का है नाथ, भोलेनाथ जी ॥
करता पापों का विनाश, कैलाश पे निवास ।
डमरू वाला वो सन्यास, भोलेनाथ जी ॥
जो फिरता मारा मारा, उसको देता वो सहारा ।
तीन लोक का वो स्वामी, भोलेनाथ जी ॥
रख दे जिसके सर पे जिसके हाथ,
दुनिया चलती उसके साथ ।
ऐसा खेल है खिलाता, मेरा नाथ जी ॥

मोह माया से परे, तेरी छाया के तले ।
जो तपता दिन रात, उसको रौशनी मिले ॥
केदार विश्वनाथ, मुझको जाना अमरनाथ ।
जहा मिलता तेरा साथ, भोलेनाथ जी ॥
रख दे जिसके सर पे जिसके हाथ,
दुनिया चलती उसके साथ ।
ऐसा खेल है खिलाता, मेरा नाथ जी ॥

ये दुनिया है भिखारी, पैसे की मारी मारी ।
मेरा तू है सहारा, मेरे भोलेनाथ जी ॥

मेरा हाथ ले तू थाम, बाबा ले जा अपने धाम ।
इस दुनिया से बचा ले, मुझको शम्भू नाथ जी ॥x2॥

मोह माया से परे, तेरी छाया के तले ।
जो तपता दिन रात, उसको रौशनी मिले ॥
केदार विश्वनाथ, मुझको जाना अमरनाथ ।
जहा मिलता तेरा साथ, भोलेनाथ जी ॥
रख दे जिसके सर पे जिसके हाथ,
दुनिया चलती उसके साथ ।
ऐसा खेल है खिलाता, मेरा नाथ जी ॥

तेरा रूप है प्रचण्ड, तू आरम्भ तू ही अंत ।
तू ही सृष्टि का रचियता, मेरे भोलेनाथ जी ॥
मैं खुद हु खंड खंड, फिर कैसा है घमण्ड ।
मुझे तुझमे है समाना, मेरे भोलेनाथ जी ॥x2॥

मोह माया से परे, तेरी छाया के तले ।
जो तपता दिन रात, उसको रौशनी मिले ॥
केदार विश्वनाथ, मुझको जाना अमरनाथ ।
जहा मिलता तेरा साथ, भोलेनाथ जी ॥
रख दे जिसके सर पे जिसके हाथ,

दुनिया चलती उसके साथ ।
ऐसा खेल है खिलाता, मेरा नाथ जी ॥

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

छठ पूजा

मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

छठ पूजा
कार्तिक पूर्णिमा

बुधवार, 05 नवम्बर 2025

कार्तिक पूर्णिमा
उत्पन्ना एकादशी

शनिवार, 15 नवम्बर 2025

उत्पन्ना एकादशी
मोक्षदा एकादशी

सोमवार, 01 दिसम्बर 2025

मोक्षदा एकादशी
मार्गशीर्ष पूर्णिमा

गुरूवार, 04 दिसम्बर 2025

मार्गशीर्ष पूर्णिमा
सफला एकादशी

सोमवार, 15 दिसम्बर 2025

सफला एकादशी

संग्रह