जटा में गंगा और माथे पे चांद,
पर्वत पर बैठा वह पीता है भांग,
भोला भंडारी है महादेव मेरा,
योगी त्रिपुरारी है महादेव मेरा…..

कर भजन तू उसका जो भक्तों की बिगड़ी बनाता,
वह कभी ना हारे जो भोले की कावड़ उठाता,
निरबल का साथी है, सच्चा हितकारी है, महादेव मेरा…..

क्या धारा क्या अंबर सारे करते हैं तेरी गुलामी,
हर दिशा के प्राणी भोले शंकर जी हैं सबके स्वामी,
पार करे वो नैया बड़ा उपकारी है, महादेव मेरा…..

जो गगन के तारे और भानू करे तेरी पूजा,
मान ले रे मनवा नहीं भोले सा हैं कोई दूजा,
पार करे वो नैया बड़ा उपकारी है, महादेव मेरा…..

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