मैं तो व्रत रही ग्यारस को, मैं तो कर रही ठाकुर सेवा जी……

वहां धर्मराज को पैरों वह तो लिख रहे लेखा-जोखा जी,
बाबा लेखा पीछे लिखी हो, मैं तो मरी भूख के मारे जी,
यहां छप्पन भोग रखे हैं, जी माया ही हो तो खाली जो,
मैं तो व्रत रही ग्यारस को, मैं तो कर रही तुलसी सेवा जी……

वहां धर्मराज को पैरों वह तो लिख रहे लेखा-जोखा जी,
बाबा लेखा पीछे लिखी हो, मैं तो मरी प्यास के मारे जी,
यहां कोरे कलश भरे हैं पिलाया ही हो तो पी लीजो,
मैं तो व्रत रही ग्यारस को, मैं तो कर रही विष्णु सेवा जी…..

वहां धर्मराज को पैरों वह तो लिख रहे लेखा-जोखा जी,
बाबा लेखा पीछे लिखी हो, मैं तो मरी ठंड के मारे जी,
यहां कंबल भरे पड़े हैं उड़ाया ही हो तो सो जाइए,
मैं तो व्रत रही ग्यारस को मैं तो कर रही भोले सेवा जी…..

वहां धर्मराज को पैरों वह तो लिख रहे लेखा-जोखा जी
बाबा लेखा पीछे लिखिए मैं तो मरी गर्मी के मारे जी
यहां ऐसी (AC) लगे हुए हैं दान करी आई हो तो सो जाइए
मैं तो व्रत रही ग्यारस को, मैं तो कर रही गुरु सेवा जी…..

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

करवा चौथ

रविवार, 20 अक्टूबर 2024

करवा चौथ
संकष्टी चतुर्थी

रविवार, 20 अक्टूबर 2024

संकष्टी चतुर्थी
अहोई अष्टमी

गुरूवार, 24 अक्टूबर 2024

अहोई अष्टमी
बछ बारस

सोमवार, 28 अक्टूबर 2024

बछ बारस
रमा एकादशी

सोमवार, 28 अक्टूबर 2024

रमा एकादशी
धनतेरस

मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024

धनतेरस

संग्रह