आप आए नहीं और सुबह हो गई,
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई,
भोग रखा रहा फूल मुरझा गए,
आरती भी धरी की धरी रह गई…..

मुझसे रूठे हो क्यों आप आते नहीं,
कोई अपराध मेरा बताते नहीं,
देखते-देखते सांसे रुकने लगी,
क्या बुलाने में मेरे कमी रह गई,
आप आए नहीं

हाल बेहाल है आप आओ हरि,
मन की मोती की माला गले में पड़ी,
वरना मन के यह मोती बिखर जाएंगे,
कौन सी भावना की कमी रह गई,
आप आए नहीं….

ध्यान भी हो गया ज्ञान भी हो गया,
सारे जग से यह मन अब अलग हो गया,
इतना होते हुए ना तुम्हें पा सकी,
इच्छा दर्शन की मन में बनी रह गई,
आप आए नहीं….

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी
पुत्रदा एकादशी

मंगलवार, 05 अगस्त 2025

पुत्रदा एकादशी

संग्रह