बैकुंठ नाथ धरो सर पे हाथ,
हो जाए कृपा जो थारी,
हे निकुंज निरंजन दीजो आशीर्वाद,
आया शरण मैं तुम्हारी,

पग पग राह कठिन है
मन मेरा दूषित मलिन है
जीवन नीरस लगने लगा भारी
हो जाए कृपा जो थारी,
आया शरण मैं तुम्हारी,

मन से मेरे विकार मिटादो
प्रभु जी अंधकार हटा दो
सच्ची मुझको राह दिखा दो
चरण शरण में ले लो भगवन
जाऊँ मैं वारी बलिहारी
हो जाए कृपा जो थारी
आया शरण मैं तुम्हारी

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

ज्येष्ठ पूर्णिमा

बुधवार, 11 जून 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा
योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी

संग्रह