एक भक्त की भक्ति ने देखो, पृथ्वी पर स्वर्ग उतार लिया ।
भगवान वो ही करते हैं यहाँ, जो मन में उन्होने ने धार लिया॥

कितनी ही बार दयानिधि ने संसार को आके उभार लिया।
जब जब धरती पर धर्म घटा, तब तब प्रभु ने अवतार लिया।
करो हरि दर्शन, करो हरि दर्शन, करो हरि दर्शन॥

अब एक लीला बाकी देखो, प्रभु वामन की झांकी देखो।
वामन ने बलि की परीक्षा ली, भगवन हो कर भी भिक्षा ली॥

फिर दत्तात्रेय अवतार हुआ, सारे जग का उधार हुआ।
माता अनुसुइया धन्य हुई, सतियो में सति अनन्य हुई॥

जब जग में पाप प्रचंड बड़ा, अन्याय बड़ा पाखंड बड़ा।
तब करने को लीला ललाम, प्रगटे पृथ्वी पर प्रभु परशुराम।
21 बार क्षत्रिय मारे, कर दिए नष्ट पापी सारे॥

फिर त्रेता में प्रभु राम हुए, उनके द्वारा कई काम हुए।
हनुमान उन पे आसक्त हुए, रघुपति के अनुपम भक्त हुए।
सीता अपमान का बदला राम ने जा कर सागर पार लिया॥

फिर ऋषभदेव अवतार हुए, यह मुक्ति के आधार हुए।
इनको तुम तीर्थंकर मानो, त्रिभुवन के मंगल कर मानो॥

फिर द्वापर में नंदलाला जन्मे, बस गए वो जन जन के मन में।
दुनिया को इन्ही ने दी गीता, और कर्मयोग से जग जीता॥

फिर जग मे वेदव्यास आये, भण्डार ज्ञान का मुनिवर लाये।
महाभारत और भागवत रची, जन साधारण को बहुत जची॥

फिर शुद्ध बुध अवतार हुआ, दर्शन से मुग्ध संसार हुआ।
वो शांति दूत बन के आए, और मंत्र अहिंसा का लाए॥

अब अंत में कल्कि जन्मेंगे, दुष्टों से वो बदला लेंगे।
कलयुग बदलेगा सत्युग में, संसार जीएगा नव में।
मानव के लिए निज माथे पे हर युग में हरि ने भार लिया॥

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