कहां छुपा बैठा है अब तक वह सच्चा इंसान,
खोजते जिसे स्वयं भगवान,
जिसने रूखा सूखा खाया ,
पर न कहीं ईमान गवाया ,
उसने ही यह भोग लगाया ,
जिसे राम ने रूचि से खाया ,
स्वार्थ रहित सेवा ही उसकी , सेवा सुधा समान,
खोजते जिसे स्वयं भगवान ॥
जिसने जानी पीर पराई ,
परहित में निज देह खपाई ,
जिसने लगन दीप की पाई ,
तिल तिल कर निज देह जलाई ,
उसकी आभा से ही होगा , देवी का सम्मान,
खोजते जिसे स्वयं भगवान ॥
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