दर पे तेरे भगवन,
मन करता है आने को,
चरणों में तेरे झुक कर,
कुछ अपनी सुनाने को,
दर पे तेरे भगवन…
पर किस विध आऊं मैं,
पड़ा हूं दुनियावी फेरों में,
ना सूझे कोई रस्ता,
घिरा हूं मायावी अंधेरों में,
प्रभु जी इतनी कृपा कर दो,
हाथ पकड़ के सहारा दो,
रोशन कर दो मेरी राहें,
दूर मन का अंधियारा हो,
मोह माया भरी दुनिया से,
जी चाहता है मन हटाने को,
चरणों में तेरे झुक कर,
कुछ अपनी सुनाने को,
दर पे तेरे भगवन….
कैसे पाऊं मैं किनारा,
सागर बड़ा गहरा है,
आऊं कैसे तुझसे मिलने,
दुनिया का जो पहरा है,
थाम लो पतवार मेरी नैया की,
भगवन मुझको किनारा दो,
तोड़के सारे बंधन पहरे,
मुझे मिलने का इशारा दो,
एक आवाज़ पे तेरी भगवन,
राजीव छोड़ आए जमाने को,
चरणों में तेरे झुक कर,
कुछ अपनी सुनाने को,
दर पे तेरे भगवन….
Author: Unknown Claim credit