हथ जोड़ के बेह गया हूँ मैं
बस एह अरदासा करदा
रोटी खा लै ठाकुरा
वे मियन मिनता तेरिया करदा

सजर सुई गाऊ लवेरी,
तेरे बदले दे के आया
लख पंडित दिया मिनता करके
तेनु अपने घरे लिआया
ओह ता नाह नाह करदा सी
ओ मेरा बिन ठाकुर ना सरदा
रोटी खा लै ठाकुरा …………

मैं सवेर तो तेरिया मिनता करदा
तू मेनू किना होर सताऊना
मैं वी केह्डा तेरे बांगु वेहला
हाले खेता नु पानी लाऊना
मेरे बलद वी सारे भूखे
तू काह्तो तरस जरा ना करदा
वे रोटी खा लै ठाकुरा …………

समझ गया मैं तू ठाकुरा,
घर उचिया दे खाने खावे
मेरे जट गरीब जेहे दा
तेरे खाना मेच न आवे
तू हल वेखी राह खानिया किते
आह न मेरी रोटी वल नु करदा
रोटी खा लै ठाकुरा …………

आखिरी गल मेरी सुन लै तू ठाकुरा
ना मैं कोई चुस्त चलाकिया जाना
जे तू आडिया न छड़ीआ वेख लई
फिर गुसा मेनू वी आ जाना
फेर मनीष टपरिया लिख दयो न
तेरी बैठ गुलामी करदा
रोटी खा लै ठाकुरा …………

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