हर रूप रंग में ढंग में तूँ
नहरों नदियों में तरंग में तूँ,
है परम् पिता जगदीश हरे
प्रभु प्रेम उमंग में तूँ ही तूँ,

तूँ बनकर सूर्य प्रकाश करे,
कहीं शीतल चाँद का रूप धरे,
तारों में तेरा रूप सुघर,
तट नीर तरंग में तूँ ही तूँ,
हर रूप………..

कहीं पर्वत पेड़ समुद्र बना,
तूँ वीज बना बन जीव जना ,
कहीं ,शीत पवन बनकर के बहे,
बस मीन बिहंग में तूँ ही तूँ,
हर रुप…..

तेरा सात स्वरों में है रूप मधुर,
बन कृष्ण धरे मुरली को अधर,
राजेंन्द्र कहे है परम् पिता,
मेरे अंग में संग में तूँ ही तूँ,
हर रूप………

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी
पुत्रदा एकादशी

मंगलवार, 05 अगस्त 2025

पुत्रदा एकादशी

संग्रह