धीरे धीरे चल वो भवानी, देखे गंगा महारानी
सागुरी नहाय बर हो
पापी महिषासुर मारके, पाप ला धोवाए बर हो
सागुरी नहाय बर हो,धीरे धीरे चल वो भवानी, देखे गंगा महारानी।

  1. सागरो जगत के तारन कारन,लिऐ दाई अवतारे वो,
    कटको पापी तोर सरन मां तरगे,होगे वोकर उध्धारे वो,
    महिमा गजब तोर लिखे न जाए,पार थके वेद चारे वो,
    बनके आए तै नौ दिन पहुना,लागे सरग संसारे वो,
    भुइया के सब तै भार उतारे,जग ला सिरजाए बर हो….
    सागुरी नहाय बर…..
  2. लक्ष्मी रूप मा धन बगराए संसार ला चलाए वो,
    सरस्वती रूप मा सुर बगराए, राग छत्तीसो गाए वो,
    सती रूप मां शिव ल नई पाए, गौरी रूप धर आए वो,
    सीता सावित्री तहि दूरपति,महाभारत जीतवाए वो,
    शीतला रूप मां तैहा बिराजे,शीतल कराए बर हो ,
    सागुरी नहाय बर…..
  3. चले चलांगन पुरखा पुरातन,बिदा देवान महतारी वो,
    आगे बेरा संग बहनी मिलेके,हासत फुलकत भारी वो,
    तोर दुवारी मा दुर्गा दाई, बइगा सेऊक नर नारी वो,
    जोत जावरा तिरशुल बाना,सोभा लगे बड़ भारी वो,
    साहिल तोर चरन पखारे,भागती ला गढ़हाए बर हो,
    सागुरी नहाय बर…..

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