हमरे गजानन को आ गई निंदिया,
कैसे मैं घोटू पिया तेरी भंगिया॥

सांझ मैंने घोटी सुबह मैंने घोटी,
सारा दिन घोटी पिया तेरी भंगिया,
हमरे गजानन को आ गई निंदिया,
कैसे मैं घोटू पिया तेरी भंगिया॥

हमरो ललन तो है प्राणों से प्यारो,
गोदी से उतारू तो भाग जाएगी निंदिया,
हमरे गजानन को आ गई निंदिया,
कैसे मैं घोटू पिया तेरी भंगिया॥

शंकर हंसे गोरा मुस्कावे,
अपने ललन को सुला ले ओ मैया,
हमरे गजानन को आ गई निंदिया,
कैसे मैं घोटू पिया तेरी भंगिया॥

तेरा गजानन है जग से निराला,
सबसे पहले पूजे इसे सारी दुनिया,
हमरे गजानन को आ गई निंदिया,
कैसे मैं घोटू पिया तेरी भंगिया॥

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