दोहा

( प्रथम निमंत्रण आपको गौरी पुत्र गणेश,
रिद्धि सिद्धि सहित पधारो काटो सकल क्लेश,
विघ्न हरण मंगल करण,सिद्धि सदन गणराज,
आज सभा में आय के,रखियो मेरी लाज।। )

मैं पहले मनाऊं गौरी ललन को, वही आसरा है मेरी जिंदगी का,
ये आंखें है प्यासी उनके दरस की, भर देंगे दाता खजाना खुशी का।।

मुझे अपने चरणों से नहीं दूर करना,
विघ्न हरण दाता विघन दूर करना,
हमेशा रहूं मैं शरण में तुम्हारी, टूटे ना ये बंधन कभी बंदगी का,
ये आंखे है प्यासी उनके……

रूप चतुर्भुज तुम्हारा गजानन,
आज पधारो देवा मेरे घर आंगन,
तमन्ना यही और दुआ भी यही है, सदा दर्श पाऊं मैं गणपति का,
ये आंखें है प्यासी उनके…

Author: डॉ सजन सोलंकी

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