( नसीब वाला वोह है गणराजा, तेरा दीदार होता है,
जिस पे होता है तेरा, नज़र-ए-कर्म,
उसका बेड़ा, पार होता है ll )
तेरे दर्शन को गणराजा, तेरे दरबार आए हैं ll
*तेरे दरबार आए हैं, तेरे दरबार आए हैं,
तेरे दर्शन,,जय हो lll को गणराजा, तेरे दरबार आए हैं ll
*सुना है मैंने गणराजा, तुम्हें लडडू ही भाते हैं ll
तुम्हारे भोग में भगवन, हाँ लडडू साथ लाए हैं l
तेरे दर्शन को गणराजा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
*तुम्हें दूर्वा सदा चढ़ती, लोग ऐसा सदा करते ll
बेल पत्ती के संग संग में, हाँ दूर्वा हार लाए हैं l
तेरे दर्शन को गणराजा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
*तुम्हें वस्त्रों में पिताम्बर, पहनते हमने देखा है ll
कि दर्ज़ी से भी सिलवाकर, तुम्हारे वस्त्र लाए हैं l
तेरे दर्शन को गणराजा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
*सुना है ताज़े फूलों के, तुम्हें गज़रे सुहाते हैं ll
कि बागों से ‘सुमन योगी’, सुगंधित फूल लाए हैं l
तेरे दर्शन को गणराजा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Author: अनिलरामूर्तिभोपाल