गुरु चरण कमल बलिहारी रे

गुरु चरण कमल बलिहारी रे,
मेरे मन की दुविधा टारी रे…..

भवसागर में नीर अपारा,
डूब रहा नहीं मिले किनारा,
पल में लिया उवारी रे,
मेरे मन की दुविधा टारी रे…..

काम क्रोध मद लोभ लुटेरे,
जन्म जन्म के बेरी मेरे,
सबको दीना मारी रे,
मेरे मन की दुविधा टारी रे…..

भेदभाव गुरुदेव मिटाया,
पूर्ण ब्रह्म एक दर्शाया,
घर-घर जोत उजारी रे,
मेरे मन की दुविधा टारी रे…..

जोग जुगत गुरुदेव बताई,
ब्रह्मानंद शांति मन आई,
मानुष देह सुधारी रे ,
मेरे मन की दुविधा टारी रे…..

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

ज्येष्ठ पूर्णिमा

बुधवार, 11 जून 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा
योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी

संग्रह