गुरुदेव तुम्हारे चरणों में,
हम शीष झुकाने आये हैं,
उठो संभालो अपनालो,
हम बिगड़ी बनाने आये हैं॥
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में,
हम शीष झुकाने आये हैं….

सुनते हैं कामिल मुरशिद बिना,
जिन्दगी जिन्दगी बन पाती नहीं,
मंजिल दिखलादी नाथ हमें,
हम मंजिल पाने आये हैं,
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में,
हम शीष झुकाने आये हैं….

उलझा उलझा सा जीवन है,
थक गया ‘मधुप’ मन भटकन में,
सब कुछ पा करके खो बैठे,
अब खो कर पाने आये हैं,
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में,
हम शीष झुकाने आये हैं….

है मन मन्दिर का दीप बुझा,
करें कैसे आरती ठाकुर की,
अन्धकार हरो उजयार करो,
हम दर्शन पाने आये हैं,
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में,
हम शीष झुकाने आये हैं….

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