हांरे सत्संग उत्तम नोखा रे,
केवटीया सतगुरु ,असली मौका रे,

भवसागर भरियो भारी ज्यामे ,डूबे नर और नारी रे,
भो का भंजन सतगुरु दाता, ये अवसर चोखा रे,

सतगुरु दाता ज्ञान सुनावे ,भाग्यवान समझ मे लावे रे,
मोह बंधन काटे कोई शूरा ,ज्याकि महिमा परलोका रे,

कायर ही सदा कांपे ज्याकि ,नांव खावेली झोखा रे,
गुरु द्रोही चौरासी का लाड़ा ,वांका मिटया नही धोखा रे,

गोकुल स्वामी अन्तर्यामी ,देश बताया अनोखा रे,
लादूदास चरण शरण मे ,मिट गया धोखा रे,

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

संग्रह