हे गुरुवर अभिनन्दन है,
पद पंकज में वंदन है,
हे गुरुवर अभिनन्दन है….
ज्ञान की मूरत कुंदन मन है,
आप जगत में एक रतन हैं,
शीश धरूँ गुरु चन्दन है,
हे गुरुवर अभिनन्दन है….
तन मन कर अर्पित गुरु पद में,
ध्यान धरो श्री हरी के पद में,
गुरु सेवा जीवन धन है,
हे गुरुवर अभिनन्दन है….
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