कौम नु जगाया जिहने बेडा पार लगाया
ओह्दी आज भी है सिरा उते छाँह भगतो,
जपो गुरु रविदास जी दा ना भगतो,

पानी उते पथरी तरौंदा जड़ो वेखियाँ,
वार वार दुनिया ने फेर मथा टेकया,
ओहनू खुद खुदा केहन लगे ता भगतो,
जपो गुरु रविदास जी दा ना भगतो,

चारे जन्जु कड के दिखाए गुरुआ ने ,
इंज जेहड़े मन दे मनाये मेरे गुरा ने,
ओहनू एहमे नहीं मंदा जहां भगतो,
जपो गुरु रविदास जी दा ना भगतो,

गंध वालेया जेहरे गुरा नु ध्याउंदे ने,
हैप्पी सदाई सुख झोली विच पाउंदे ने,
ओह ते हुन्दे ने सदाई हर था भगतो,
जपो गुरु रविदास जी दा ना भगतो,

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