जिस के सिर उपर तू सुआमी सो दुःख कैसा पावे

जिस के सिर उपर तू सुआमी सो दुःख कैसा पावे

जिस के सिर उपर तू सुआमी सो दुःख कैसा पावे,
बोल न जाने माया मधि माता मरना चिति न आवे,
जिस के सिर उपर तू सुआमी
सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु,

मेरे राम राये तू संता के संत तेरे,
तेरे सेवक को भो किछु नाही जम नही आवे नेड़े,
जो तेरे रंगी राते सुआमी तिन्ह का जन्म मरन दुःख नासा,
तेरी बख्श न मेटे कोई सतुगुरु का दिलासा,
जिस के सिर उपर तू सुआमी
सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु,

नाम ध्यायन सुख फल पाइन आठ पहर आराधिः,
तेरी शरण तेरे भरवासे पंज दुशट ले साधी,
ज्ञान ध्यान किश कर्म न जाना सार ना जाना तेरी,
सब से बड़ा सतिगुरु नानक जिनी कल राखी मेरी,
जिस के सिर उपर तू सुआमी
सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु,

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