गुरु रविदास जी दा शुक्र मनाइये,
उठ के सवेरे पहला शीश झुकाइये,

मिल दा नसीबा नाल इहो जेहा सतगुरु जो मालिक है जग दा,
की की सीफ्ता करा मैं ओहदे जेहा होर न कोई लगदा,
की की सीफ्ता करा मैं

जो भी लेंदा नाम ओह ता खुशियां ही पावे,
जावे ना निराश जेहड़ा गुरु दर आवे,
रंगया जावे जो भी गुरा दे रंगा विच,
सूखा वाला मीह ओहते वग दा,
की की सीफ्ता करा मैं….

गुरु किरपा बिना कोई भी नहीं तर दा,
एथे चाहे ओथे गुरा बिना नहियो सरदा,
सारी गल मुकदी है आके विश्वाश उते,
प्यार जावे ओहदा साहनु ठग दा,
की की सीफ्ता करा मैं

बड़ेया ही मौजा हूँ जसम नु ला गये,
दुःख ते कलेश सारे पला च मिटा गये
हथ जोड़ करा अरदास तेरे आगे,
खुशियां दा दीवा रहे जगदा,
की की सीफ्ता करा मैं

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