शुक्र करा मैं गुरूजी तेरा शुक्र करा मैं,
मेरे अंतर्मन में तुम ही बसे हो,
और किसी का क्या जिक्र करा मैं….

तुमसे कैसा जुड़ गया नाता,
और मुझे अब कुछ नहीं भाता,
जो भी तेरा नाम है गाता,
अपने झोलियां भर के जाता,
तेरे होते क्यों गुरु जी कोई फिकर करा मैं….

दर पर चलकर जब मैं आया,
आपका दर्शन मैंने पाया,
खुशियों से आंखें भर गई मेरी,
चरणों में मैंने जब शीश झुकाया,
जब तू ही मेरी चाहत किसपे नजर करा मैं….

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